जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को एक बार फिर तनाव की कगार पर ला खड़ा किया है।
दोनों देशों के बीच ज़बानी जंग के साथ-साथ कूटनीतिक और सैन्य मोर्चों पर भी हलचल तेज हो गई है। भारत सरकार ने इस हमले के बाद कई सख्त कदम उठाए हैं—चाहे वो सिंधु जल संधि को निलंबित करने की बात हो, बॉर्डर क्रॉसिंग को बंद करना या पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना। ये सभी फैसले संकेत देते हैं कि भारत अब कूटनीतिक नरमी नहीं, बल्कि निर्णायक नीति की ओर बढ़ रहा है।
पाकिस्तान ने भी पलटवार करते हुए 1972 के शिमला समझौते से हटने की बात कही है। पाकिस्तान की ओर से स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अगर भारत ने नदियों का पानी रोका या मोड़ा, तो इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा और पूरी ताक़त से जवाब दिया जाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली में कहा कि इस हमले के दोषियों को “कल्पना से भी बड़ी सज़ा” मिलेगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया कि भारत आतंकियों और उन्हें समर्थन देने वालों को छोड़ेगा नहीं। भारत के जल संसाधन मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा है कि “एक बूंद पानी भी पाकिस्तान को न मिले”—इसके लिए रणनीति तैयार हो रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने भी चेतावनी दी है कि किसी भी दुस्साहस का जवाब 2019 की तरह दिया जाएगा। उस समय पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी, जिससे दोनों देशों की वायुसेनाओं में सीधी झड़प हुई थी।
अब बात करते हैं दोनों देशों की सैन्य ताकत की—
- भारत के पास 22 लाख सैनिक, 4,201 टैंक और करीब 1.5 लाख बख्तरबंद वाहन हैं।
भारतीय वायुसेना के पास 2,229 विमान हैं, जिनमें 513 फाइटर जेट्स और 270 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शामिल हैं।
भारतीय नेवी 293 युद्धपोतों से लैस है, जिनमें दो एयरक्राफ्ट कैरियर और 18 सबमरीन शामिल हैं। - पाकिस्तान के पास 13 लाख सैनिक, 2,627 टैंक और 1,399 विमान हैं।
लेकिन उसकी लॉजिस्टिक क्षमता भारत से कमजोर मानी जाती है।
परमाणु हथियारों के मामले में दोनों देशों की स्थिति लगभग समान है—भारत के पास 172 और पाकिस्तान के पास 170 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं।
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सीपरी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का फोकस लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों पर है ताकि वह चीन तक पहुंच सके, जबकि पाकिस्तान की तैयारी भारत से टकराव केंद्रित है।
ड्रोन्स की बात करें तो:
- भारत ने अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन का सौदा किया है, जो दुनिया के सबसे घातक ड्रोन माने जाते हैं।
- पाकिस्तान ने तुर्की और चीन से आधुनिक ड्रोन्स जैसे बैराक्तर और वैंग लोंग-2 हासिल किए हैं। साथ ही, उसने खुद भी बर्राक और शहपर जैसे ड्रोन विकसित किए हैं।
विशेषज्ञों की राय:
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एस.एच. पनाग ने आगाह किया है कि पाकिस्तान के पास जवाब देने की पूरी क्षमता है और भारत को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारी तकनीकी बढ़त इतनी नहीं कि हम बिना नुकसान के सर्जिकल स्ट्राइक कर सकें।”
निष्कर्ष:
इस समय सबसे जरूरी है—राजनीतिक संतुलन, कूटनीतिक सूझबूझ और अंतरराष्ट्रीय समर्थन। अगर सिर्फ टकराव की दिशा में कदम बढ़े, तो इसका असर केवल भारत और पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और वैश्विक स्थिरता पर पड़ेगा।
अब सबकी निगाहें अगले कदम पर हैं—क्या होगा अगला फैसला?
क्या सच में दोनों देश जंग की दहलीज़ तक पहुंच चुके हैं?
या फिर एक और बार वार्ता की उम्मीद अभी बाकी है?